प्रिय मित्रो,
सायटिका ऐसा जाना पहचाना रोग है जिसमें रोगी को कमर से लेकर टांग से होते हुए पैर तक दर्द जाता है, जिससे रोगी ठीक से चल भी नहीं पाता एवं दर्द के कारण उसकी चाल गिद्ध (Valture) की चाल जैसे हो जाती है, इसलिए आयुर्वेद में इस रोग को गृध्रसी ” कहा जाता है।
कमर से निकलकर पैर तक जाने वाली सायटिक नर्व (Sciatic nerve) पर प्रायः किसी निम्न कारण से दबाव पड़ने से यह स्थिति पैदा होती है –
1) Disc herniation – कमर में जहा से यह नर्व निकलती है वहां की डिस्क का सरक जाना।
2) Canal stenosis – जिस नली नुमा रचना (Spinal canal) में। से होकर यह नर्व निकलती है उसका संकुचित होना ।
3) Periformis syndrome – पुठ्ठे (Buttock – Gluteal region) पर पाई जाने वाली मांसपेशी (Periformis muscle) से सायटिका नर्व पर पड़ने वाले दबाव के कारण ।
चिकित्सा – कारणों के अनुसार चिकित्सा की जाती है। सामान्यता आयुर्वेद के ग्रंथ चक्रदत में बताए गए हारसिंगार जिसे पारिजात या शेफालिका (Nyctantus arbor tristis) भी कहा जाता है, के पत्तों का काढ़ा अत्यंत उपयोगी है।
इसके साथ ही निम्न औषधियों का सेवन करें –
1) विषतिंदुक वटी – दो-दो गोली सुबह, दोप, शाम
2) योगराज गुगल – दो-दो गोली सुबह – दोप-शाम।
एवं बताई गई योग – एक्सरसाइज तथा आयुर्वेद की स्नेहन – स्वेदन, कटी बस्ती, अग्निकर्म एवं रक्तमोक्षण आदि प्रक्रियाएं अत्यंत उपयोगी है।
उपरोक्त किसी भी चिकित्सा हेतु कृपया अपने चिकित्सक से अवश्य परामर्श करें।
” गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं ”
विशेष – गठिया (जोड़ों का दर्द), कमर दर्द, एवं सायटिका आदि रोगों का सफल इलाज आयुर्वेदिक चिकित्सा एवं पंचकर्म चिकित्सा द्वारा बिना भर्ती बीना आपरेशन संभव है आयुर्वेद अमृत है जय धन्वंतरि 👏 Dr RK katiyar Vandana Medicare multi speciality ayurvedic hospital ambedkar puram awas Vikas kalyanpur kanpur up 9839141475